(गीतकार : इंदीवर)
होंठों से छू लो तुम, मेरा गीत अमर कर दो
बन जाओ मीत मेरे, मेरी प्रीत अमर कर दो
होंठों से छू लो…
ना उम्र की सीमा हो, ना जन्म का हो बंधन
(दो बार)
जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन
नई रीत चलाकर तुम, ये रीत अमर कर दो
(दो बार)
होंठों से छू लो…
आकाश का सूनापन मेरे तन्हा मन में
(दो बार)
पायल छनकाती तुम आ जाओ जीवन में
साँसें देकर अपनी संगीत अमर कर दो
संगीत अमर कर दो, मेरा गीत अमर कर दो
होंठों से छू लो…
जग ने छीना मुझसे, मुझे जो भी लगा प्यारा
(दो बार)
सब जीता किए मुझसे मैं हरदम ही हारा
तुम हार के दिल अपना मेरी जीत अमर कर दो
(दो बार)
होंठों से छू लो…