(गीतकार : समीर)
जिये तो जिये कैसे, बिन आपके (दो बार)
लगता नहीं दिल कहीं, बिन आपके
जिये तो जिये कैसे…
कैसे कहूँ बिना तेरे ज़िन्दगी ये क्या होगी
जैसे कोई सज़ा कोई बद्दुआ होगी
मैने किया है ये फ़ैसला जीना नहीं है तेरे बिना
जिये तो जिये कैसे…
मुझे कोई दे दे जहर हस के मैं पी लूँगी
हर दर्द सह-लूँगी हर हाल-में जी लूँगी
दर्द-ए-जुदाई सह ना सकूँगी तेरे बिना मैं रह ना सकूँगी
जिये तो जिये कैसे…
देख के वो मुझे तेरा पलकें झुका देना
याद बहोत आये तेरा मुस्कुरा देना
कैसे भूलाऊँ वो सारी बातें वो मीठी रातें वो मुलाक़ातें
जिये तो जिये कैसे…